उनकी चाहत में जुगनू सी पल पल जली मैं बढ़ गये अपने कदम मुहब्बत की गली में। उनकी चाहत में जुगनू सी पल पल जली मैं बढ़ गये अपने कदम मुहब्बत की गली में।
क्या मैं खुश हूँ, ऐसे कुछ सवाल आते है! क्या मैं खुश हूँ, ऐसे कुछ सवाल आते है!
बैठे बैठे ही सहम जातेे हैं हम जब पुरानी यादें ताजा हो जाती है. बैठे बैठे ही सहम जातेे हैं हम जब पुरानी यादें ताजा हो जाती है.
मुहब्बत मुहब्बत
मुकेश बिस्सा श्री कन्हैया कुंज,4 नवखुनिया, गांधी कॉलोनी,जैसलमेर मुकेश बिस्सा श्री कन्हैया कुंज,4 नवखुनिया, गांधी कॉलोनी,जैसलमेर